गीत गोविन्द -जयदेव पृ. 145

श्रीगीतगोविन्दम्‌ -श्रील जयदेव गोस्वामी

द्वितीय सर्ग
अक्लेश-केशव:

अथ षष्ठ सन्दर्भ
6. गीतम्

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रति-सुख-समय-रसालसया दरमुकुलित-नयन-सरोजम्।
नि:सह-निपतित-तनुलतया मधुसूदनमुदितमनोजम्
सखि हे केशीमथनमुदारम् ... ... ॥7॥[1][2]

अनुवाद- उनके साथ रति-विलास करती हुई अतिशय अनंग सुख के अनुभव से अलसा गयी थी, मेरा अंग-अंग अवसन्ना हो गया था, मेरी देहलता रतिश्रम के कारण सामर्थ्यरहित होकर एकान्त में निर्जीव होकर निढाल हो गयी, उस समय जिन श्रीकृष्ण के नयनकमल अनंग-रस से सिक्त होकर ईषत्र खुले हुए थे और जिनके मन में विषमतर मदनविकार निरन्तर विहार कर रहा था, सखि री! उन प्रियतम श्रीकृष्ण से मेरा मिलन करा दो ॥7॥


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अन्वय- रतिसुख-समय-रसालसया (रत्या यत्र सुखं तस्य य: समय: काल: तत्र य: रस: चेतसो द्रवीभाव: तेन अलसया निश्चेष्टया) [मया सह] दरमुकुलित-नयन-सरोजम् (दरमुकुलिते ईषन्मुद्रिते नयनसरोजे लोचनपप्रजे यस्य तादृशं) [केशिमथनम्...] [तथा] नि:सह-निपतित तनुलतया [नि:सहं शिथिलम् अपाटवं यथा तथा निपतिता तनुलता यस्या: तादृश्या [मया सह] उदित-मनोजं (उदित: आविर्भूत: मनोज: कामो मयि अभिलाष इति यावत्र यस्य तादृशं) मधुसूदनं [केशिमथनम्....]॥ [अत्र मधुसूदनमिति श्लिष्टम् अनेन भृंगो यथा अन्यकुसुमावलीनां मधु क्रमेणास्वादयन् कमलिन्या उत्कर्षमनुभूय तस्यामेवासक्तो भवति तद्वदयमपीति स्वमससो वैदग्ध्यमेव बोधितम् अतएव उदितमनोजम् इतिविशेषणं सर्वथा संगच्छते ॥7॥
  2. अलसा का अर्थ है मन्थरा। रतिसुख समये द्वयोरेककालं रेत:कण क्षरण समये यो रस: तदेकाग्री भावस्तेन अलसा मन्थरा।
    दर मुकुलिते अर्थात ईषत्र निमीलिते।

    नि:सहा असमर्थ:। उदित मनोजम् अर्थात अभ्युदित कामम्। निपतित तनुलता अर्थात्र विपरीत रति। असमर्था च्युति कालोत्तरावस्था इत्यर्थ।

    भरत मुनि ने कहा है-

    अंगे स्वेद: श्लथत्वं च केशवस्त्रादि संवृत्ति।
    जाते च्युति सुखे नार्या विरामेच्छा च गम्यते

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गीत गोविन्द -श्रील जयदेव गोस्वामी
सर्ग नाम पृष्ठ संख्या
प्रस्तावना 2
प्रथम सामोद-दामोदर: 19
द्वितीय अक्लेश केशव: 123
तृतीय मुग्ध मधुसूदन 155
चतुर्थ स्निग्ध-मधुसूदन 184
पंचम सकांक्ष-पुण्डरीकाक्ष: 214
षष्ठ धृष्ठ-वैकुण्ठ: 246
सप्तम नागर-नारायण: 261
अष्टम विलक्ष-लक्ष्मीपति: 324
नवम मुग्ध-मुकुन्द: 348
दशम मुग्ध-माधव: 364
एकादश स्वानन्द-गोविन्द: 397
द्वादश सुप्रीत-पीताम्बर: 461

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