गीता 6:13

गीता अध्याय-6 श्लोक-13 / Gita Chapter-6 Verse-13

समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिर: ।
संप्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन् ॥13॥



काया, सिर और गले को समान एवं अचल धारण करके और स्थिर होकर, अपनी नासिका के अग्रभाग पर दृष्टि जमा कर, अन्य दिशाओं को न देखता हुआ- ॥13॥

Holding the trunk, head and neck straight and steady, remaining firm and fixing the gaze on the tip of his nose, without looking in other direction. (13)


कायशिरोग्रीवम् = काया शिर और ग्रीवा को;समम् = समान; च =और अचलम् = अचल; धारयन् =धारण किये हुए; स्थिर: = दृढ़ (होकर); स्वम् = अपने; नासिकाग्रम् = नासिका के अग्रभाग को; संप्रेक्ष्य =देखकर; दिश: = अन्य दिशाओं को; अनवलोकयन् = न देखता हुआ;



अध्याय छ: श्लोक संख्या
Verses- Chapter-6

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अध्याय / Chapter:
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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