गीता 10:15

गीता अध्याय-10 श्लोक-15 / Gita Chapter-10 Verse-15


स्वयमेवात्मनात्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम ।
भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते ॥15॥



हे भूतों को उत्पन्न करने वाले! हे भूतों के ईश्वर! हे देवों के देव! हे जगत् के स्वामी! हे पुरुषोत्तम[1]! आप स्वयं ही अपने से अपने को जानते हैं ॥15॥

O creator of beings, O ruler of creatures, o god of gods, the Lord of the universe, o supreme purusa, You alone know what you are by yourself. (15)


भूतभावान = हे भूतों को उत्पत्र करने वाले; भूतेश = हे भूतों के ईश्वर; देवदेव = हे देवों के देव; जगत्पते = हे जगत् के स्वामी; पुरुषोत्तम = हे पुरुषोत्तम; त्वम् = आप; स्वयम् = स्व्यम्; आत्मना= अपने से; आत्मानम् = आपको; वेत्थ = जानते हैं



अध्याय दस श्लोक संख्या
Verses- Chapter-10

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।

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