गीता रहस्य -तिलक पृ. 531

गीता रहस्य अथवा कर्मयोग शास्त्र -बाल गंगाधर तिलक

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परिशिष्‍ट-प्रकरण
भाग 3-गीता और ब्रह्मसूत्र ।

जिन ब्रह्मसूत्रों में, शांकर-भाष्‍य के अनुसार, ‘स्‍मृति शब्‍द से गीता ही का उल्‍लेख किया गया है, उनमें से नीचे दिेये हुए सूत्र मुख्‍य हैं: -

ब्रह्मसूत्र-अध्‍याय, पाद और सूत्र । गीता-अध्‍याय और श्‍लोक ।
1. 2. 6 स्‍मृतेश्च। गीता 18. 61 ‘’ ईश्‍वर: सर्वभूतानां.’’ आदि श्‍लोक ।
1. 3. 23 अपिच स्‍मर्यते। गीता 15. 6 ‘’न तगांसयते सूर्य:.’’ आ.
2. 1. 36 उपपद्यते चाप्‍युपलभ्‍यते च। गीता 15. 3. ‘’न रूपमस्‍येह तथोपलभ्‍यते.’’ आदि।
2. 3. 45 अपि च स्‍मर्यते। गीता 15. 7. ‘’ममैवांशो जीवलोकेजीव-भूत:.’’ आदि।
3. 2. 17 दर्शयति चाथो अपि स्‍मर्यते। गीता 13. 12. ‘ज्ञेयं यत्तत् प्रवक्ष्‍यामि0’ आ0
3. 3. 31 अनियम: सर्वासामविरोध: शब्‍दानुमानाभ्‍याम्। गीता 8. 26 ‘’ शुक्लकृष्‍णे गती ह्येते.’’ आदि.।
4.1.10 स्‍मरंति च। गीता 6. 11 ‘’शुचो देशे0’’ आदि.।
4. 2. 21 योगिन:: प्रति च स्‍मर्यते। गीता 8. 23 ‘’ यत्र कालेत्‍वनावृत्तिमावृतिं चैव योगिन:. ’’ आदि.।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता रहस्य अथवा कर्म योग शास्त्र -बाल गंगाधर तिलक
प्रकरण नाम पृष्ठ संख्या
पहला विषय प्रवेश 1
दूसरा कर्मजिज्ञासा 26
तीसरा कर्मयोगशास्त्र 46
चौथा आधिभौतिक सुखवाद 67
पाँचवाँ सुखदु:खविवेक 86
छठा आधिदैवतपक्ष और क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विचार 112
सातवाँ कापिल सांख्यशास्त्र अथवा क्षराक्षर-विचार 136
आठवाँ विश्व की रचना और संहार 155
नवाँ अध्यात्म 178
दसवाँ कर्मविपाक और आत्मस्वातंत्र्य 255
ग्यारहवाँ संन्यास और कर्मयोग 293
बारहवाँ सिद्धावस्था और व्यवहार 358
तेरहवाँ भक्तिमार्ग 397
चौदहवाँ गीताध्यायसंगति 436
पन्द्रहवाँ उपसंहार 468
परिशिष्ट गीता की बहिरंगपरीक्षा 509
- अंतिम पृष्ठ 854

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