गीता माधुर्य -रामसुखदास पृ. 2

गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास

पहला अध्याय

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अर्जुन को शोक कब हुआ और क्यों हुआ?
जब अर्जुन ने दोनों सेनाओं में अपने ही निजी कुटुम्बियों को देखा और सोचा कि दोनों तरफ हमारे ही कुटुम्बी मरेंगे, तब ममता के कारण उनको शोक हुआ।

अर्जुन ने दोनों सेनाओं में अपने कुटुम्बियों को क्यों देखा?
भगवान श्रीकृष्ण ने जब दोनों सेनाओं के बीच में रथ खड़ा करके अर्जुन से कहा कि ‘तुम युद्ध की इच्छा से इकट्ठे हुए इन कुरुवंशियों को देखो’ तब अर्जुन ने अपने कुटुम्बियों को देखा।

भगवान ने अर्जुन को दोनों सेनाओं में कुरुवंशियों को देखने के लिये क्यों कहा?
अर्जुन ने पहले भगवान से कहा था कि ‘हे अच्युत! दोनों सेनाओं के बीच में मेरा रथ खड़ा करो जिससे मैं देखूँ कि यहाँ मेरे साथ दो हाथ करने वाले कौन हैं?’

अर्जुन ने ऐसा क्यों कहा?
जब युद्ध की तैयारी के बाजे बजे, तब उत्साह में भरकर अर्जुन ने दोनों सेनाओं के बीच में रथ खड़ा करने के लिये भगवान से कहा।

बाजे क्यों बजे?
कौरव सेना के मुख्य सेनापति भीष्मजी ने जब सिंह की दहाड़ के समान गरजकर शंख बजाया, तब कौरव सेना के बाजे बजे और पाण्डव सेना के भी बाजे बजे।

भीष्म जी ने शंख क्यों बजाया?
दुर्योधन को हर्षित करने के लिये भीष्मजी ने शंख बजाया।

दुर्योधन अप्रसन्न क्यों था?
दुर्योधन ने गुरु द्रोणाचार्य के पास जाकर कहा कि ‘आपके प्रतिपक्ष में पाण्डवों की सेना खड़ी है, इसको देखिये अर्थात् जिन पाण्डवों की सेना खड़ी है, इसको देखिये अर्थात् जिन पाण्डवों पर आप प्रेम-स्नेह रखते हैं, वे ही आपके विरोध में खड़े हैं। पाण्डव सेना की व्यूह-रचना भी धृष्टद्युम्न के द्वारा की गयी है, जो आपको मारने के लिये ही उत्पन्न हुआ है।’ इस प्रकार दुर्योधन की चालाकी से, राजनीति से भरी हुई तीखी बातों को सुनकर द्रोणाचार्य चुप रहे, कुछ बोले नहीं। इससे दुर्योधन अप्रसन्न हो गया।

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गीता माधुर्य -रामसुखदास
अध्याय पृष्ठ संख्या
अध्याय 1 7
अध्याय 2 26
अध्याय 3 36
अध्याय 4 44
अध्याय 5 50
अध्याय 6 60
अध्याय 7 67
अध्याय 8 73
अध्याय 9 80
अध्याय 10 86
अध्याय 11 96
अध्याय 12 100
अध्याय 13 109
अध्याय 14 114
अध्याय 15 120
अध्याय 16 129
अध्याय 17 135
अध्याय 18 153

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