गीता माधुर्य -रामसुखदास पृ. 145

गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास

अठारहवाँ अध्याय

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ब्राह्मण के कौन-से कर्म हैं भगवन्?

1. मन का निग्रह करना

2. इन्द्रियों को वश में करना

3. धर्म-पालन के लिये कष्ट सहना

4. बाहर-भीतर से शुद्ध रहना

5. दूसरों के अपराध को क्षमा करना

6. शरीर, मन आदि में सरलता रखना

7. वेद, शास्त्र आदि का ज्ञान सम्पादन करना

8. यज्ञविधि को अनुभव में लाना

9. परमात्मा, वेद आदि में आस्तिक-भाव रखना ये ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म हैं।।42।।

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गीता माधुर्य -रामसुखदास
अध्याय पृष्ठ संख्या
अध्याय 1 7
अध्याय 2 26
अध्याय 3 36
अध्याय 4 44
अध्याय 5 50
अध्याय 6 60
अध्याय 7 67
अध्याय 8 73
अध्याय 9 80
अध्याय 10 86
अध्याय 11 96
अध्याय 12 100
अध्याय 13 109
अध्याय 14 114
अध्याय 15 120
अध्याय 16 129
अध्याय 17 135
अध्याय 18 153

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