गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास
अठारहवाँ अध्याय
ब्राह्मण के कौन-से कर्म हैं भगवन्? 1. मन का निग्रह करना 2. इन्द्रियों को वश में करना 3. धर्म-पालन के लिये कष्ट सहना 4. बाहर-भीतर से शुद्ध रहना 5. दूसरों के अपराध को क्षमा करना 6. शरीर, मन आदि में सरलता रखना 7. वेद, शास्त्र आदि का ज्ञान सम्पादन करना 8. यज्ञविधि को अनुभव में लाना 9. परमात्मा, वेद आदि में आस्तिक-भाव रखना ये ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म हैं।।42।। |