गीता माधुर्य -रामसुखदास पृ. 141

गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास

अठारहवाँ अध्याय

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तामस कर्म कौन-सा है?
जो कर्म परिणाम, हानि, हिंसा और अपनी सामर्थ्य को को न देखकर मोहपूर्वक आरम्भ किया जाता है, वह तामस है।।25।।

तीन तरह के कर्ताओं में सात्त्विक कर्ता कौन-सा है भगवन्?
जो कर्ता आसक्तिरहित, अहंकाररहित, धैर्य और उत्साह से युक्त तथा कर्मों की सिद्धि-असिद्धि में निर्विकार रहता है, वह सात्त्विक है।।26।।

राजस कर्ता कौन-सा है?
जो कर्ता रागी, कर्मफल की इच्छावाला, लोभी, हिंसा के स्वभाव वाला, अशुद्ध और हर्ष-शोक से युक्त है, वह राजस है।।27।।

तामस कर्ता कौन-सा है?
जो कर्ता असावधान, कर्तव्य-अकर्तव्य की शिक्षा से रहित, ऐंठ-अकड़वाला, जिद्दी, कृतघ्रनी, आलसी, विषादी और दीर्घसूत्री (थोड़े समय में होने वाले काम में भी ज्यादा समय लगा देने वाला) है, वह तामस है।।28।।

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गीता माधुर्य -रामसुखदास
अध्याय पृष्ठ संख्या
अध्याय 1 7
अध्याय 2 26
अध्याय 3 36
अध्याय 4 44
अध्याय 5 50
अध्याय 6 60
अध्याय 7 67
अध्याय 8 73
अध्याय 9 80
अध्याय 10 86
अध्याय 11 96
अध्याय 12 100
अध्याय 13 109
अध्याय 14 114
अध्याय 15 120
अध्याय 16 129
अध्याय 17 135
अध्याय 18 153

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