गीता माधुर्य -रामसुखदास पृ. 140

गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास

अठारहवाँ अध्याय

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राजस ज्ञान कौन-सा है भगवन्?
जिस ज्ञान से मनुष्य अलग-अलग सम्पूर्ण प्राणियों में भाव (सत्ता) को अलग-अलग देखता है, वह ज्ञान राजस है।।21।।

तामस ज्ञान कौन-सा है?
जो उत्पन्न होने वाले शरीर में ही पूर्ण की तरह आसक्त है तथा जो युक्तिसंगत नही है, तात्त्विक ज्ञान से रहित है और तुच्छ है, वह ज्ञान तामस है।।22।।

तीन तरह के कर्मों में सात्त्विक कर्म कौन-सा है भगवन्?
जो नियत कर्म फलेच्छारहित मनुष्य के द्वारा राग-द्वेष और कर्तृत्व-अभिमान से रहित होकर किया जाय, वह सात्त्विक है।।23।।

राजस कर्म कौन-सा है?
जो कर्म भोगों की इच्छा वाले मनुष्य के द्वारा अहंकार अथवा परिश्रमपूर्वक किया जाता है, वह राजस है।।24।।

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गीता माधुर्य -रामसुखदास
अध्याय पृष्ठ संख्या
अध्याय 1 7
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अध्याय 4 44
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अध्याय 7 67
अध्याय 8 73
अध्याय 9 80
अध्याय 10 86
अध्याय 11 96
अध्याय 12 100
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