गीता माधुर्य -रामसुखदास पृ. 122

गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास

सोलहवाँ अध्याय

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6. अपने कर्तव्य का पालन करना।

7. शास्त्रों के सिद्धान्तों को अपने जीवन में उतारना।

8. अपने कर्तव्य का पालन करते समय जो कष्ट आये, उसको प्रसन्नतापूर्वक सहना।

9. तन-मन वाणी की सरलता।

10. तन-मन-वाणी से किसी भी प्राणी को कभी किन्चिन्मात्र भी कष्ट न पहुँचाना।

11. जैसा देखा, सुना और समझा, वैसा-का-वैसा प्रिय शब्दों में कह देना।

12. मेरा स्वरूप समझकर किसी पर कभी क्रोध न करना।

13. सांसारिक कामनाओं का त्याग करना।

14. अन्तःकरण में राग-द्वेषजनित हलचल न होना।

15. चुगली न करना।

16. सम्पूर्ण प्राणियों पर दया का भाव होना।

17. सांसारिक विषयों में न ललचाना।

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गीता माधुर्य -रामसुखदास
अध्याय पृष्ठ संख्या
अध्याय 1 7
अध्याय 2 26
अध्याय 3 36
अध्याय 4 44
अध्याय 5 50
अध्याय 6 60
अध्याय 7 67
अध्याय 8 73
अध्याय 9 80
अध्याय 10 86
अध्याय 11 96
अध्याय 12 100
अध्याय 13 109
अध्याय 14 114
अध्याय 15 120
अध्याय 16 129
अध्याय 17 135
अध्याय 18 153

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