गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 79

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
दूसरा अध्याय
सांख्‍ययोग


तानि सर्वाणि संयम्‍य युक्‍त आसीत मत्‍पर:।
वशे हि यस्‍येन्द्रियाणि तस्‍य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।61।।

इन सब इंद्रियों को वश में रखकर योगी को मुझमें तन्‍मय हो रहना चाहिए, क्‍योंकि अपनी इंद्रियां जिसके वश में हैं, उसकी बुद्धि स्थिर है।

टिप्‍पणी- तात्‍पर्य, भक्ति के बिना - ईश्वर की सहायता के बिना-मनुष्‍य का प्रयत्‍न मिथ्‍या है।

ध्‍यायतो विषयान्‍पुंस: संगस्तेषूपजायते।
संगात्‍संजायते काम: कामात्‍क्रोधोऽभिजायते।।62।।

विषयों का चिंतन करने वाले पुरुष को उनमें आसक्ति उत्‍पन्‍न होती है, आसक्ति में से कामना होती है और कामना में से क्रोध उत्‍पन्‍न होता है।

टिप्‍पणी- कामना वाले के लिए क्रोध अनिवार्य है, क्‍योंकि काम कभी तृप्‍त होता ही नहीं।

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्‍स्‍मृतिविभ्रम:।
स्‍मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्‍प्रणश्‍यति।।63।।

क्रोध में से मूढ़ता उत्‍पन्‍न होती है, मूढ़ता से स्‍मृति भ्रांत हो जाती है, स्‍मृति भ्रांत होने से ज्ञान का नाश हो जाता है और जिसका ज्ञान नष्‍ट हो गया वह मृतक-तुल्‍य है।

रागद्वेषवियुक्‍तैस्‍तु विषयानिन्द्रियैश्‍चरन्।
आत्‍मवश्‍यैविधेयात्‍मा प्रसादमधिगच्‍छति।।64।।

परंतु जिसका मन अपने अधिकार में है और जिसकी इंद्रियां राग-द्वेष रहित होकर उसके वश में रहती हैं, वह मनुष्‍य इंद्रियों का व्‍यापार चलाते हुए भी चित्त की प्रसन्‍नता प्राप्‍त करता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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