गीता माता -महात्मा गांधी
अनासक्तियोग
दूसरा अध्याय
सांख्ययोग
संयज उवाच संजय ने कहा - हे राजन! गुडाकेश अर्जुन हृषीकेश गोविंद से ऐसा कह कर, ʻनहीं लडूंगा' कहते हुए चुप हो गए। 9 तमुवाच हृषीकेश: प्रहसन्निव भारत। हे भारत ! इन दोनों सेनाओं के बीच में उदास होकर बैठे हुए अर्जुन से मुस्कुराते हुए हृषीकेश ने ये वचन कहे- 10 श्रीभगवानुवाच श्रीभगवान बोले- तू शोक न करने योग्य का शोक करता है और पंडिताई के बोल बोलता है; परंतु पंडित मृत और जीवितों का शोक नही करते। 11 न त्वेवाहं जातु नासं त्वं नेमे जनाधिपा:। क्योंकि वास्तव में देखने पर, मैं, तू या ये राजा किसी काल में नहीं थे अथवा भविष्य में नहीं होंगे, ऐसा कुछ नहीं है। 12 |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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