गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 57

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
पहला अध्याय
अर्जुन विषाद योग


काश्‍यश्‍च परमेष्‍वास: शिखण्‍डी च महारथ:।
धृष्‍टद्युम्‍नो विराटश्‍च सात्‍यकिश्‍चापराजित:।।17।।

बड़े धनुष्‍य वाले काशिराज, महारथी शिखंडी, धृष्‍टद्युम्‍न, विराटराज, अजेय सात्‍यकि,

द्रुपदो द्रौपदेयाश्‍च सर्वश: पृथिवीपते।
सौभद्रश्‍च महाबाहु: शंखान्‍दध्‍मु: पृथक्‍पृथक्।।18।।

द्रुपदराज, द्रौपदी के पुत्र, सुभद्रा पुत्र महाबाहु अभिमन्‍यु, इन सबने, हे राजन्! अपने-अपने शंख बजाए।

स घोषो धार्तराष्‍ट्राणां हृदयानि व्‍यदारयत्।
नभश्‍च पृथिवीं चैव तुमुलो व्‍यनुनादयन्।।19।।

पृथ्‍वी और आकाश को गुंजा देने वाले उस भयंकर नाद ने कौरवों के हृदय विदीर्ण कर डाले।

अथ व्‍यवस्थितान्‍दृष्‍ट्वा धार्तराष्‍ट्रान्‍कपिध्‍वज:।
प्रवृत्ते शस्‍त्रसंपाते धनुरुद्यम्‍य पाण्‍डव:।।20।।
हृषीकेशं तदा वाक्‍यमिदमाह महीपते।

हे राजन्! हनुमान चिह्र की ध्‍वजा वाले अर्जुन ने कौरवों को सजे देखकर, हथियार की तैयारी के समय अपना धनुष चढ़ाकर हृषीकेश से ये वचन कहे-

 
अर्जुन उवाच
सेनयोरुभयोर्मध्‍ये रथं स्‍थापय मेऽच्‍युत।।21।।

अर्जुन बोले - ʻʻहे अच्‍युत! मेरा रथ दोनों सेनाओं के बीच में खड़ा रखो,

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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