गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 273

गीता माता -महात्मा गांधी

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14 : गीता जी


‘‘बिना उपवास के प्रार्थना संभव नहीं’’-

यह कथन पूर्णतया सत्य है। यहाँ उपवास को व्यापक अर्थ में लेना चाहिए। शरीर के उपवास के साथ-साथ सभी इंद्रियों का उपवास होना आवश्यक है, और गीता में वर्णित ‘अल्पाहार’ भी शरीर का उपवास है। गीता भोजन-निग्रह का आदेश नहीं देती, बल्कि अल्पाहार के लिए कहती है। अल्पाहार सदा चलने वाला उपवास है।

अल्पता का अर्थ है कि केवल उतना ही भोजन किया जाय, जितना शरीर को उस सेवा के लिए कायम रखने को पर्याप्त हो, जिसके करने के लिए उसका निर्माण हुआ है। इसकी कसौटी पुन: इस कथन में मिलती है कि जिस प्रकार स्वाद के लिए नहीं, बल्कि शरीर की निरोगता के लिए नपी-तुली मात्रा में और निश्चित समय पर औषधि का सेवन किया जाता है, उसी प्रकार आहार भी किया जाय।

‘नपी-तुली मात्रा’ में ‘अल्पता’ का भाव शायद अधिक अच्छी तरह से आ जाता है। आरनॉल्ड का रूपान्तर मुझे स्मरण नहीं है। पूरा भोजन लेना ईश्वर और मानव के प्रति पाप है। मानव के प्रति इसलिए कि पूरा भोजन करके हम अपने पड़ोसियों को उनके भाग से वंचित करते हैं। भगवान की अर्थ-व्यवस्था में केवल औषधिक मात्रा में प्रतिदिन सबको भोजन लेने की गुंजाइश है। हम सब-के सब पूरा भोजन लेने वाली जाति के लोग हैं।

अन्तःप्रवृत्ति से यह जान लेना कि औषधिक मात्रा क्या है, भगीरथ काम है; क्योंकि मां-बाप का शिक्षण हमें ऐसा मिलता है कि हम पेटू बन जाते हैं। तब जब हम अभ्यस्त हो जाते हैं, हमें पता चलता है कि भोजन का उपयोग स्वाद के लिए नहीं, बल्कि अपने दास के रूप में अपने शरीर को कायम रखने के लिए होना चाहिए। उस घड़ी से आनंद के लिए भोजन करके पैतृक और स्व-अर्जित स्वभाव के विरुद्ध घमासान शुरू हो जाता है।

इसलिए कभी-कभी पूर्ण उपवास और सदैव आंशिक उपवास करने की आवश्यकता होती है। आंशिक उपवास का अर्थ अल्पाहार अथवा गीता के अनुसार नपा- तुला भोजन लेना है। इस प्रकार ‘उपवास के बिना प्रार्थना संभव नहीं’ यह कथन वैज्ञानिक है और इसकी सचाई की परीक्षा प्रयोग और अनुभव के द्वारा की जा सकती है।

‘बापूज़ लैटर्स टू मीरा’

26 जनवरी, 1933

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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