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14 : गीता जी
गीता के मुख्य सिद्धान्त से असंगत कोई बात चाहे जहाँ भी लिखी हुई हो, मेरा मन उसे शास्त्र नहीं मानता। मेरे रूढ़िग्रस्त मित्रों को आघात न लगे तो मैं अपना अर्थ और अधिक स्पष्ट करना चाहता हूँ। सदाचार के विश्वमान्य मूलतत्त्वों से असंगत किसी भी चीज को मैं शास्त्रप्रामाण्य में नहीं मानता। शास्त्रों का उद्देश्य इन मूलतत्त्वों को उखाड़ फेंकना नहीं, वरन् इन्हें टिकाये रखना है, और गीता मेरे लिए सम्पूर्ण है, इसका कारण यह है कि वह इन मूलतत्त्वों का समर्थन करती है। इतना ही नहीं, बल्कि वह किसी भी मूल्य पर इनसे चिपके रहने के लिए अचूक कारण बताती है।
‘महादेवभाईनी डायरी’,
भाग 2, पृष्ठ 460
17 नवंबर, 1932
इसलिए भगवद्गीता में एक ही जगह, जहाँ ‘शास्त्र’ शब्द आता है, वहाँ मैंने उसका अर्थ यह नहीं किया कि गीता के सिवा कोई अन्य ग्रंथ या विधि वाक्य, बल्कि इसका अर्थ किसी जीवित प्रमाण भूत व्यक्ति में मूर्तिमान होने वाला सदाचार है।
‘महादेवभाईनी डायरी’,
भाग 2, पृष्ठ 461
17 नवंबर, 1932
गीता जी के तीसरे अध्याय का पांचवां श्लोक बहुत ही चमत्कारी है। भौतिकशास्त्री बता चुके हैं कि इसमें बताया हुआ सिद्धान्त सर्वव्यापक है। इसका अर्थ यह है कि कोई आदमी एक क्षण भी कर्म किये बिना नहीं रह सकता। कर्म का अर्थ है गति और यह नियम जड़-चेतन सबके लिए लागू है। मनुष्य इस नियम पर निष्काम भाव से चलता है तो यही उसका ज्ञान और यही उसकी विशेषता है। इसी की पूर्ति में ईशोपनिषद् के दो मंत्र हैं। वे भी इतने ही चमत्कारी हैं।
‘महादेवभाईनी डायरी’,
पहला भाग, पृष्ठ 374
23 अगस्त, 1932
आश्रम की एक बहन ने लिखा है, ‘‘गीता की बजाय अन्य पुस्तकें पढ़ना मुझे ज्यादा अच्छा लगता है।’’
तूने तो ऐसी बात लिखी कि मुझे पकौडियां खाना अच्छा लगता है और रोटी अच्छी नहीं लगती। निरोगी का पेट पकौड़ियों से कभी भर नहीं सकता। वह तो रोटी ही मांगेगा। इसी तरह गीता को समझ। अन्तर्पट खुलने पर तो गीता अच्छी लगेगी ही। जब तक गीता अच्छी नहीं लगती तब तक यह समझना चाहिए कि कुछ कच्चापन है; लेकिन इसमें मुझ रसोइये का भी दोष तो है ही। मैंने जो गीता भेजी, वह कच्ची थी, इसलिए तुझे पची नहीं? अब क्या हो?
गीता कंठ करने में स्मरण-शक्ति का काम है, जो सरल है। गीता का अर्थ समझने में बुद्धि का काम है। यह कठिन है। इससे तुम्हें रस नहीं मिलता, किन्तु जब बुद्धि के काम में रस मिलने लगेगा तब अर्थ समझने की इच्छा जागेगी। इसलिए बुद्धि के विषयों में रस लेने लगो।
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