गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 234

गीता माता -महात्मा गांधी

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गीता-प्रवेशिका


ईश्‍वर: सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्‍ठति।
भ्रामयन्‍सर्वभूतानि यन्‍त्रारूढानि मायया।।29॥


अर्जुन! ईश्वर सब प्राणियों के हृदय में वास करता है और अपनी माया के बल से उन्‍हें चाक पर चढ़े हुए घड़े की तरह घुमाता है।

तमेव शरणं गच्‍छ
सर्वभावेन भारत।
तत्‍प्रसादात्‍परां शान्ति
स्‍थान प्राप्‍स्‍यसि शाश्‍वतम्।।30॥


हे भारत! सर्वभाव से तू उसकी शरण ले। उसकी कृपा से परम शांतिमय अमर पद को पावेगा।  

सर्वधर्मान्‍परित्‍यज्‍य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्‍वा सर्वपावेभ्‍यो मोक्षयिष्‍यामि मा शुच:।।31॥


सब धर्मों का त्‍याग करके एक मेरी ही शरण ले! मैं तुझे सब पापों से मुक्‍त करूंगा। शोक मत कर।  

संजय उवाच
यत्र योगेश्‍वर: कृष्‍णो यत्र पार्थो धनुर्धर:।
तत्र श्रीविजयो भतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।32॥

संजय ने कहा -


जहाँ योगेश्‍वर कृष्‍ण हैं, जहाँ धनुर्धारी पार्थ है, वहाँ श्री है, विजय है, वैभव है और अविचल नीति है, ऐसा मेरा अभिप्राय है।


टिप्‍पणी - योगेश्‍वर कृष्‍ण से तात्‍पर्य है अनुभव सिद्ध शुद्धज्ञान और धुनर्धारी अर्जुन से अभिप्राय है तदनुसारिणी किया, इन दोनों का संगम जहाँ हो, वहाँ संजय ने जो कहा है उसके सिवा दूसरा क्‍या परिणाम हो सकता है?

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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