गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 175

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
तेरहवां अध्याय
क्षेत्रक्षेत्रविभागयोग


महाभूतान्‍यहंकारो बुद्धिरव्‍यक्‍तमेव च।
इन्द्रियाणि दशैकं च पंच चेन्द्रियगोचरा:।।5।।
इच्‍छा द्वेष: सुखं दु:खं संघातश्‍चेतना धृति:।
एतत्‍क्षेत्रं समासेन सविकारमुदाहृतम्।।6।।

महाभूत, अहंता, बुद्धि, प्रकृति, दस इंद्रियों, एक मन, पाँच विषय, इच्‍छा, द्वेष, सुख, दु:ख चेतन शक्ति, धृति - यह अपने विकारोंसहित क्षेत्र संक्षेप में कहा है।

टिप्‍पणी- महाभूत पांच हैं—पृथ्‍वी, जल, तेज, वायु और आकाश। अहंकार अर्थात शरीर के प्रति विद्यमान अहंता, अहंपना। अव्‍यक्‍त अर्थात अदृश्‍य रहने वाली माया, प्रकृति। दस इंद्रियों में पांच ज्ञानेन्द्रिया—नाक, कान, आंख जीभ और चाम, तथा पांच कर्मेन्द्रियां- हाथ, पैर मुंह और दो गुहयेन्द्रियां। पांच गोचर अर्थात पांच ज्ञानेंद्रियों के पांच - सूँघना, सुनना, देखना, चखना और छूना। संघात अर्थात शरीर के तत्‍वों की परस्‍पर सहयोग करने की शक्ति। धृति अर्थात धैर्यरूपी सूक्ष्‍म गुण नहीं, किंतु इस शरीर के परमाणुओं का एक दूसरे से सटे रहने का गुण। यह अहंभाव के कारण ही संभव है और यह अहंता अव्‍यक्‍त प्रकृति में विद्यमान है। मोह रहित मनुष्‍य इस अहंता का ज्ञानपूर्वक त्‍याग करता है और इस कारण मृत्‍यु के समय दूसरे आघात से वह दु:ख नहीं पाता। ज्ञानी-अज्ञानी सबको, अंत में तो, इस विकारी क्षेत्र का त्‍याग किये ही निस्‍तार है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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