गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 162

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
ग्‍यारहवां अध्याय
विश्‍वरूपदर्शनयोग


यथा प्रदीप्‍तं ज्‍वलनं पतंगा।
विशन्ति नाशाय समृद्धवेगा:।
तथैव नाशाय विशन्ति लोका-
स्‍तवापि वक्‍त्राणि समृद्धवेगा:।।29।।

जलते हुए दीपक में जैसे पतंग बढ़ते हुए वेग से पड़ते हैं, वैसे ही आपके मुख में भी सब लोग बढ़ते हुए वेग से प्रवेश कर रहे हैं।

लेलिह्य से ग्रसमान: समन्‍ता-
ल्‍लोकान्‍समग्रान्‍वदनैर्ज्‍वलद्भि:।
तेजोभिरापूर्य जगत्‍समग्रं
भासस्‍ततवोग्रा: प्रतपन्ति विष्‍णो।।30।।

सब लोकों को सब ओर से निगलकर आप अपने धधकते हुए मुख से चाट रहे हैं। हे सर्वव्‍यापी विष्‍णु! आपका उग्र प्रकाश समूचे जगत का तेज से पूरित कर रहा है और तपा रहा है।

आख्‍याहि मे को भवानुग्ररूपो
नमोऽस्‍तु ते देववर प्रसीद।
विज्ञातुमिच्‍छामि भवन्‍तमाद्यं
न हि प्रजानामि तव प्रवृत्तिम्।।31।।

उग्ररूप आप कौन हैं सो मुझसे कहिए। हे देववर! आप प्रसन्‍न होइए। आप जो आदि कारण हैं उन्‍हे मैं जानना चाहता हूँ। आपकी प्रवृत्ति मैं नहीं जानता।  

श्रीभगवानुवाच
कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्‍प्रवृद्धो
लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्त:।
ऋतेऽपि त्‍वां न भविष्‍यन्ति सर्वे
येऽवस्थिता: प्रत्‍यनीकेषु योधा:।।32।।

श्री भगवान बोले-

लोकों का नाश करने वाला, बढ़ा हुआ मैं काल हूँ। लोकों का नाश करने के लिए यहाँ आया हूँ। प्रत्‍येक सेना में जो ये सब योद्धा आये हुए हैं उनमें से कोई तेरे लड़ने से इन्कार करने पर भी बचने वाला नहीं है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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