गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 109

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
पांचवां अध्याय
कर्मसंन्‍यासयोग


ये हि संस्‍पर्शजा भोगा दु:खयोनय एवते।
आद्यन्‍तवन्‍त: कौन्‍तेय न तेषु रमते बुध:।।22।।

विषय जनित भोग अवश्‍य दु:खों के कारण हैं। हे कौंतेय! वे आदि और अन्‍त वाले हैं। बुद्धिमान मनुष्‍य उनमें नहीं फंसता।

शक्‍नोतीहैव य: सोढुं प्राक्‍शरीरविमोक्षणात्।
कामक्रोधोद्भवं वेगं स युक्‍त: स सुखी नर:।।23।।

देहांत के पहले जिस मनुष्‍य ने इस देह से ही काम और क्रोध के वेग को सहन करने की शक्ति प्राप्‍त की है उस मनुष्‍य ने समत्‍व को पाया है, वह सुखी है।

टिप्‍पणी- मरे हुए शरीर को जैसे इच्‍छा या द्वेष नहीं होता, सुख-दु:ख नहीं होता, वैसे जो जीवित रहते भी मृत समान, जड़ भरत की भाँति देहातीत रह सकता है वह इस संसार में विजयी हुआ है और वह वास्‍तविक सुख को जानता है।

योऽन्‍त: सुखोऽन्‍तरारामस्‍तथान्‍तर्ज्‍योतिरेव य:।
स योगी ब्रह्मनिर्वाणं ब्रह्मभूतोऽधिगच्‍छति।।24।।

जिसे आंतरिक आनन्‍द है, जिसके हृदय में शांति है, जिसे निश्चित रूप से अंतर्ज्ञान हुआ है वह ब्रह्मरूप हुआ योगी ब्रह्म- निर्माण पाता है।

लभन्‍ते ब्रह्मनिर्वाणमृषय: क्षीणकल्‍मषा:।
छिन्‍नद्वेधा यतात्‍मान: सर्वभूतहिते रता:।।25।।

जिनके पाप नष्‍ट हो गए हैं, जिनकी शंकाएं शांत हो गई हैं, जिन्‍होंने मन पर अधिकार कर लिया है और जो प्राणीमात्र के हित में ही लगे रहते हैं, ऐसे ऋषि ब्रह्म निर्वाण पाते हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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