गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अवतरणिका
अर्जुन:- देवराज इन्द्र के नियोग से कुन्ती के अर्जुन उत्पन्न हुआ था। अर्जुन आचार्य द्रोण का अत्यन्त प्रिय और योग्य शिष्य था, धनुर्विद्या में उसके समान कोई नहीं था। द्रौपदी स्वयंवर में मत्स्य को लक्ष्य करके अर्जुन ने ही द्रौपदी को प्राप्त किया था। अर्जुन के द्रौपदी से “श्रुतकीर्ति” नामक का पुत्र उत्पन्न हुआ। द्वारिकापुरी जाकर अर्जुन ने श्रीकृष्ण की बहिन सुभद्रा का हरण किया और उससे विवाह करके वीर अभिमन्यु को जन्म दिया। इसके अतिरिक्त मणिपुर के राजा चित्रवाहन की कन्या “चित्रांगदा” से विवाह किया, जिससे वभ्रुवाहन नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ। अर्जुन ने भिन्न-भिन्न देवताओं से निम्नलिखित अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किये थे-
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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