गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण पृ. 103

गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण


अवतरणिका
Prev.png

अर्जुन:-

देवराज इन्द्र के नियोग से कुन्ती के अर्जुन उत्पन्न हुआ था। अर्जुन आचार्य द्रोण का अत्यन्त प्रिय और योग्य शिष्य था, धनुर्विद्या में उसके समान कोई नहीं था। द्रौपदी स्वयंवर में मत्स्य को लक्ष्य करके अर्जुन ने ही द्रौपदी को प्राप्त किया था। अर्जुन के द्रौपदी से “श्रुतकीर्ति” नामक का पुत्र उत्पन्न हुआ। द्वारिकापुरी जाकर अर्जुन ने श्रीकृष्ण की बहिन सुभद्रा का हरण किया और उससे विवाह करके वीर अभिमन्यु को जन्म दिया। इसके अतिरिक्त मणिपुर के राजा चित्रवाहन की कन्या “चित्रांगदा” से विवाह किया, जिससे वभ्रुवाहन नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ। अर्जुन ने भिन्न-भिन्न देवताओं से निम्नलिखित अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किये थे-

  1. अंगारपण नामक गन्धर्व ने अर्जुन को चाक्षुषी विद्या सिखाई, जिससे अर्जुन तीनों लोकों के पदार्थों को प्रत्यक्ष देख सकता था।
  2. ऐरावत देश के नागराज कौरव्य की कन्या “उलूपी” ने अर्जुन को पानी में अजेय रहने का वर दिया।
  3. खांडव वन को जलाने के लिए अग्निदेव ने अदिति पुत्र वरुणदेव से अर्जुन को अक्षय तूणीर, सरासन तथा कपिध्वज रथ दिया। यह सरासन ही गाण्डीव धनुष था, जिससे अर्जुन गाण्डीवधारी कहलाता था और यह कपिध्वज श्वेत अश्वों वाला रथ वही था जिसमें बैठकर महाभारत युद्ध किया गया और जिसके सारथी स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण बने। जिसका वर्णन अध्याय 1 श्लोक 14 में है। अग्निदेव ने अर्जुन को तो अक्षण तूणीर, गाण्डीव धनुष और कपिध्वज वाला श्वेत रथ दिया, किन्तु भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र, दयित अग्नि अस्त्र तथा दैत्यकुलनाशी वज्र के समान कठोर “कौमुदकी गदा” दी थी।
Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
- गीतोपदेश के पश्चात भागवत धर्म की स्थिति 1
- भूमिका 66
- महर्षि श्री वेदव्यास स्तवन 115
- श्री गणेश वन्दना 122
1. अर्जुन विषाद-योग 126
2. सांख्य-योग 171
3. कर्म-योग 284
4. ज्ञान-कर्म-संन्यास योग 370
5. कर्म-संन्यास योग 474
6. आत्म-संयम-योग 507
7. ज्ञान-विज्ञान-योग 569
8. अक्षर-ब्रह्म-योग 607
9. राजविद्या-राजगुह्य-योग 653
10. विभूति-योग 697
11. विश्वरूप-दर्शन-योग 752
12. भक्ति-योग 810
13. क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ-विभाग-योग 841
14. गुणत्रय-विभाग-योग 883
15. पुरुषोत्तम-योग 918
16. दैवासुर-संपद-विभाग-योग 947
17. श्रद्धात्रय-विभाग-योग 982
18. मोक्ष-संन्यास-योग 1016
अंतिम पृष्ठ 1142

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः