साम्यसूत्र-वृत्तिः अध्याय 18 जो बाबा का दर्शन करेगा उसको क्या दिखेगा? बाह्य आकृति से अधिक कुछ नहीं दिखेगा। परंतु बाबा का दर्शन बाबा के 'गीता प्रवचन' में होता है। "गीता प्रवचन मेरी जीवन की गाथा है और वही मेरा संदेश है।" -विनोबा टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख गीता प्रवचन -विनोबा अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या 1. प्रास्ताविक आख्यायिका : अर्जुन का विषाद 1 2. सब उपदेश थोड़े में : आत्मज्ञान और समत्वबुद्धि 9 3. कर्मयोग 20 4. कर्मयोग सहकारी साधना : विकर्म 26 5. दुहरी अकर्मावस्था : योग और सन्यास 32 6. चित्तवृत्ति-निरोध 49 7. प्रपत्ति अथवा ईश्वर-शरणता 62 8. प्रयाण-साधना : सातत्ययोग 73 9. मानव-सेवारूप राजविद्या समर्पणयोग 84 10. विभूति-चिंतन 101 11. विश्वरूप–दर्शन 117 12. सगुण–निर्गुण–भक्ति 126 13. आत्मानात्म-विवेक 141 14. गुणोत्कर्ष और गुण-निस्तार 159 15. पूर्णयोग : सर्वत्र पुरूषोत्तम-दर्शन 176 16. परिशिष्ट 1- दैवी और आसुरी वृत्तियों का झगड़ा 188 17. परिशिष्ट 2- साधक का कार्यक्रम 201 18. उपसंहार- फलत्याग की पूर्णता-ईश्वर-प्रसाद 216 19. अंतिम पृष्ठ 263 वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः