गरुड़-त्रास तैं जो ह्याँ आयौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग कान्हरौ



गरुड़-त्रास तैं जो ह्याँ आयौ।
तौ प्रभु-चरन कमल फन-फन-प्रति अपनैं सीस धरायौ।
धनि रिषि साप दियौ खगपति कौं, ह्याँ तब रह्यौ छपाइ।
प्रभु-बाहन-डर भाजि बच्यौ अहि, नातरु लेतौ खाइ।
यह सुनि कृपा करी नँद-नंदन, चरनचिह्न प्रगटाए।
सूरदास प्रभु अभय ताहि करि, उरग-द्वीप पहुँचाए।।573।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः