गए स्‍याम ग्‍वालिनि घर सूनैं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गोरी



गए स्‍याम ग्‍वालिनि घर सूनैं।
माखन खाइ, डारि सब गोरस, बासन फोरि किए सब चूनै।
बड़ौ माट इक बहुत दिननि कौ, ताहि करयौ दस टूक।
सोवत लरिकनि छिरकि मही सौ, हँसत चले दै कूक।
आइ गई ग्‍वालिनि तिहि औसर, निकसत हरि धरि पाए।
देखे घर बासन सब फूटे, दूध दही ढरकाए।
दोउ भुज धरि गाढ़ैं करि लीन्‍हे, गई महरि के आगैं।
सूरदास अब वसै कौन ह्याँ, पति रहिहै ब्रज त्‍यागैं।।317।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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