कौरव पासा कपट बनाए -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग बिलावल




कौरव पासा कपट बनाए। धर्म-पुत्र कौं जुआ खिलाए।
तिन हारयौ सब भूमि-भँडार। हारी बहुरि द्रौपदी नार।
ताकौं पकरि सभा मैं ल्‍यावै। दुस्‍सासन कटि-बसन छुड़ावै।
तब वह हरि सौं रोइ पुकारी। सूर राखि मन लाज मुरारी।।246।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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