कृष्ण का नीला रंग यह दर्शाता है। कि उसका रंग आमतौर पर नीला है, चाहे वह आकाश हो या समुंदर। जो कुछ भी आपकी समझ से बड़ा है, वह नीला होगा, क्योंकि नीला रंग सब को शामिल करने का आधार है। कि कृष्ण के शरीर का रंग नीला माना जाता है। इस नीलेपन का मतलब जरूरी नहीं है कि उनकी त्वचा का रंग नीला था। वे श्याम रंग के हों, लेकिन जो लोग जागरूक थे, उन्होंने उनकी ऊर्जा के नीलेपन को देखा और उनका वर्णन नीले वर्ण वाले के तौर पर किया।
कृष्ण की प्रकृति के बारे में की गई सभी व्याख्याओं में नीला रंग आम है, क्योंकि सभी को साथ लेकर चलना उनका एक ऐसा गुण था, जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। वह कौन थे, वह क्या थे, इस बात को लेकर तमाम विवाद हैं, लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उनका स्वभाव सभी को साथ लेकर चलने वाला था। श्रीकृष्ण की ऊर्जा या यूं कहिए कि उनके प्रभामंडल का सबसे बाहरी घेरा नीला था, इसीलिए उनमें गजब का आकर्षण था। उनके आकर्षक होने की वजह उनकी नाक का सुडौल होना या उनकी आंखों की खूबसूरती नहीं थी। दुनिया में अच्छी नाक, सुंदर आंखों वाले और ख़ूबसूरत कद-काठी के कितने ही लोग हैं, लेकिन उन सभी में उतना आकर्षण नहीं होता। यह किसी व्यक्ति विशेष के प्रभामंडल की नीलिमा है, जो अचानक उसे जबर्दस्त तरीके से आकर्षक बना देती है। लोग कहते हैं कि कृष्ण प्रत्यक्ष रूप से नीले थे, लेकिन यह तीन हजार साल पुरानी जनश्रुति है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृष्ण का आभामंडल नीला क्यों? krishna-kaa-aabha-mandal-neela-kyon। अभिगमन तिथि: अगस्त-26, 2016।
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