होरी में व्रज खोरी खोरी, धूम मचैया तुम्हीं तो हो ।
कालिन्दी के तीर सखिन के, चीर चुरैया तुम्हीं तो हो ।।
मथुरा में चाणूर शूर के, चूर करैया तुम्हीं तो हो ।
कुवलय मत्त मतंग दंग करि, दन्त तुरैया तुम्हीं तो हो ।।
दुष्ट कंस बधि उग्रसेन को, राज दिवैया तुम्हीं तो हो ।
चार जुगन में नाम सुना है, कृष्ण कन्हैया तुम्हीं तो हो ।।4।।
कुबजा दासी रूपवंत करि, हिये लगैया तुम्हीं तो हो ।
ऊधो द्वारा व्रज-गोपिन को, योग कथैया तुम्हीं तो हो ।।
जरासंध, शिशुपाल मन्द को, मार हटैया तुम्हीं तो हो ।
जब जब भीर परी भक्तन पै, बांह गहैया तुम्हीं तो हो ।।
परी बीच भवसागर नैया, पाल लगैया तुम्हीं तो हो ।
चार जुगन में नाम सुना है, कृष्ण कन्हैया तुम्हीं तो हो ।।5।।
दूर द्वारिकापुरी बास करि, दुष्ट दलैया तुम्हीं तो हो ।
दीन सुदामा के तन्दुल खा, दरिद नसैया तुम्हीं तो हो ।।
शबरी भाव अनूठे जूँठे, बेर खबैया तुम्हीं तो हो ।
कुण्डलपुर रुक्मिणी ब्याहि सब, नृपन हरैया तुम्हीं तो हो ।।
सूखी साग बिदुर घर खाई, मान रखैया तुम्हीं तो हो ।
चार जुगन में नाम सुना है, कृष्ण कन्हैया तुम्हीं तो हो ।।6।।