श्रीकृष्णांक
श्री श्रीराधातत्त्व
भगवान की सैकड़ों शक्तियों में महाभावरूपिणी राधा ही सर्वश्रेष्ठ हैं। श्रीकृष्ण ही राधा के जीवन हैं। श्रीकृष्ण भोक्ता हैं, श्रीराधा भोग्या हैं। जगत में भी यही प्रत्यक्ष देखा जाता है। पुरुष सेव्य है, प्रकृति सेविका है, पुरुष राध्य है, प्रकृति राधिका है। अतएव प्रेस्वरूपिणी परमा प्रकृति श्रीराधिका का अपने प्राण, मन समर्पण करके श्रीकृष्ण की आराधना किया करती हैं। श्रीराधिकाजी तत्वत: श्रीकृष्ण की प्रणय-विकृति हैं। इनको वैष्णव-शास्त्रों में स्वरूपशक्ति ह्लादिनी कहा गया हैं। श्रीचैतन्य–चरितामृत में कहा है– राधिका हयेन कृष्णेर प्रणयविकार । सर्वाधिष्ठानभूत भगवान श्रीकृष्ण में अव्यभिचारिणी स्वरूपभूता तीन सख्य शक्तियों का अस्तित्व वैष्णवगण मानते हैं। इन तीन शक्तियों का अस्तित्व वैष्णवगण मानते हैं। इन तीन शक्तियों के नाम हैं- ह्लादिनी, सन्धिनी और संवित्। श्रीचैतन्य-चरितामृत में कहा है– ह्लादिनी कराय कृष्णेर आनन्दास्वादन । जैसे मूर्तिमती ह्लादिनी शक्ति श्रीराधा नित्य ही भगवान की आराधना करती हैं, वैसे ही इन ह्लादिनी शक्ति की लाखों वृत्तियां भी मूर्तिमती होकर अनुक्षण श्रीराधा और श्रीकृष्ण की सेवा किया करती हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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