श्रीकृष्णांक
भगवान श्रीकृष्ण का प्रभाव
कालस्य च हि मृत्योश्च जंगमस्थावरस्य च । मैं आपसे यह सत्य कहता हूँ कि वे भगवान श्रीकृष्ण अकेले ही काल, मृत्यु और चराचर समस्त जगत का शासन करते हैं। ईशन्नपि महायोगी सर्वस्य जगतो हरि: । महायोगी श्रीकृष्ण सम्पूर्ण जगत का शासन करते हुए ही किसान की तहर जगत वृद्धि करने के लिये कर्मों का आरम्भ करते हैं। तेन वंचयते लोकान्मायायोगेन केशव: । भगवान केशव उस अपनी योगमाया से मनुष्यों को ठगते हैं। जो मनुष्य केवल उसी की शरण में चले जाते हैं, वे माया से मोहित नहीं होते।
यह सनुकर धृतराष्ट्र संजय से पूछते हैं कि ‘माधव श्रीकृष्ण सब लोकों के महान ईश्वर हैं, इस बात को तू कैसे जानता है और मैं उन्हें क्यों नहीं जानता ? ’संजय कहते हैं, हे राजन ! जिनका ज्ञान अज्ञान के द्वारा ढँका हुआ है, वे भगवान श्रीकृष्ण को नहीं जान सकते। आप में वह ज्ञान नहीं है, इसलिये आप नहीं जानते, मैं जानता हूँ’। तदनन्तर उद्योग पर्व 70वें अध्याय में फिर धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा कि ‘हे संजय ! श्रीकृष्ण के विषय में मैं तुझसे पूछता हूँ, तू मुझे कमलनयन श्रीकृष्ण की कथा सुना, जिससे मैं श्रीकृष्ण के नाम और चरित्रों को जानकर पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण को प्राप्त होऊँ’। इसके बाद संजय ने श्रीकृष्ण के नाम, गुण और प्रभाव का अनेक श्लोकों में वर्णन किया तो भी धृतराष्ट्र भगवान श्रीकृष्ण को भलीभाँति नहीं पहचान सके। इससे यह बात सिद्ध होती है कि जिस पर भगवान की दया होती है, वही भगवान को पहचान सकता है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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