मीराँबाई की पदावली
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ धान
- ↑ वांचै = पढ़े, पढ़ सुनावे। साथी = मित्र ( श्रीकृष्ण )। कागद = पत्रिका। रह्या = रह गया। आवत जावत = आते जाते। घिस्या। घिस गये। राती = लाल लाल। बांचण = पढ़ने। भर... छाती = हृदय उमड़ आया। नैण नीरण = कमल नेत्रों। अंब = पानी। गंगा = नदीसी। म्हने = मुझे। डूब तिर्यो हाथी = गजेन्द्र डूबता डूबता बच गया। सांकडांरो = संकट में भक्तों का। साथी = सहायक।
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