कीजै पान लला रे यह लै आई दूध जसोदा मैया।
कनक-कटोरा भरि लीजै, यह पय पीजै, अति सुखद कन्हैया।
आछैं औठ्यौ मेलि मिठाई, रुचि करि अंचवत क्यौ न नन्हैया।
बहु जतननि ब्रजराज लडै़ंते, तुम कारन राख्यौ बलभैया।
फूंकि-फूंकि जननी पय प्यावति, सुख पावति जो उर न समैया।
सूरज स्याम राम पय पीवत दोऊ जननी लेतिं बलैया।।229।।