ऐ ब्रजचंद गोविंद गोपाल -पद्माकर

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ऐ ब्रजचंद गोविंद गोपाल -पद्माकर


ऐ ब्रजचंद गोविंद गोपाल! सुन्यो क्यों न एते कलाम किए मैं।
त्यों पद्माकर आनंद के नद हौ नंदनंदन! जानि लिए मैं
माखन चोरी कै खोरिन ह्वै चले भाजि कछू भय मानि जिए मैं।
दूरि न दौरि दुरयो जौ चहौ तौ दुरौ किन मेरे अंधेरे हिए मैं

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