ऐसे बादर ता दिन आए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मलार


ऐसे वादर ता दिन आए, जा दिन स्याम गोवर्धन धारयौ।
गरजि गरजि घन बरषन लागे, मानौ सुरपति बैर सँभारयौ।।
भवै सँजोग जुरे है सजनी, चाहत हठ करि घोष उजारयौ।
अब को सात दिवस राखैगो, दूरि गयौ ब्रज कौ रखवारौ।।
जब बलराम हुते या ब्रज मैं, काहू देव न ऐसौ डारयौ।
अब यह भूमि भयानक लागै, विधना बहुरि कंस अवतारयौ।।
अब वह सुरति करै को हमरी, या ब्रज मैं कोउ नाहिं हमारौ।
'सूरदास' अति विकल विरहिनी, गोपिनी पछिलौ प्रेम सँभारयौ।। 3320।।

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