एतौ कियौ कहा री मैया।
कौन काज धन दूध दही यह, छोभ करायौ कन्हैया।
आई सिखवन भवन पराऐं स्यानि ग्वालि बौरैया।
दिन-दिन देन उरहनौ आवति ढुकि-ढुकि करतिं लरैया।
सूधी प्रीति न जसुदा जानै, स्याम सनेही ग्वैयां।
सूर स्याम सुंदरहिं लगानी, वह जानै बल भैया।।371।।