ऊधौ मन माने की बात -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग घनाश्री


ऊधौ मन माने की बात।
दाख छुहारा छाँड़ि अमृत फल, विषकीरा विष खात।।
ज्यौं चकोर कौं देइ कपूर कोउ, तजि अंगार अघात।
मधुप करत घर कोरि काठ मैं, बँधत कमल के पात।।
ज्यौ पतंग हित जानि आपनौ, दीपक सौ लपटात।
'सूरदास' जाकौ मन जासौ सोई ताहि सुहात।।4021।

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