ऊधौ मन नहिं हाथ हमारै।
रथ चढ़ाइ हरि संग गए लै, मथुरा जबहिं सिधारे।।
नातरु कहा जोग हम छाँड़हि अति रुचि कै तुम ल्याए।
हम तौ झँखति स्याम की करनी, मन लै जोग पठाए।।
अजहूँ मन अपनौ हम पावै, तुम तै होइ तो होइ।
‘सूर’ सपथ हमैं कोटि तिहारी, कही करैगी सोइ।।3719।।