ऊधौ भली करी ह्याँ आए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मलार


ऊधौ भली करी ह्याँ आए।
तुम देखे जनु माधौ देखे, दुख त्रै ताप नसाए।।
नंद जसुदा कौ नात न छूटत, वेद पुराननि गाए।
हम अहीर तुम अहिर लाख दस, निरगुन कहा कहाए।।
तब इहि घोष खेल बहु खेले, ऊखल भुजा बँधाए।
'सूरदास' प्रभु इहै सूल जिय, बहुरि न दरस दिखाए।।3782।।

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