ऊधौ प्रेम भक्ति रहित -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग घनाश्री


 
(ऊधौ) प्रेम भक्ति रहित निरस जोग कहा गायौ।
निठुर वचन अबलनि सौ, कहे कहा पायौ?
जिहिं नैननि कमलनैन, मोहन मुख हेरयौ।
मूँदन ते नैन कहत, कौन ज्ञान तेरयौ।।
तामैं सुनि मधुकर, हम कहा लेन जाही।
जामैं प्रिय प्राननाथ, नंदनँदन नाहीं।।
जिनके तुम सखा साधु, कहौ बात तिनकी।
जीवति करि प्रेमकथा, दासी हम उनकी।।
निरगुन अविनासी मत, कहा आनि भाष्यौ।
'सूरदास' जीवनधन, कान्ह, कहाँ राख्यौ ?।।3597।।

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