ऊधौ पूछति है ते बावरी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


(ऊधौ) पूछति है ते बावरी।
गोकुल तज्यौ कूबरी कारन, नेह न होत जोरावरी।।
जैसौ वैयै तौसोइ लुनियै, काहै करत दुरावरी।
ज्यौ गजराज काज के औसर, ओरै दसन दिखावरी।।
वै तौ कुबिजा असुर की दासी, हम जु सुहागिल रावरी।
'सूरदास' प्रभु पारस परसै, लौहौ कनक बराबरी।।3953।।

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