ऊधौ इन नैननि अंजन देहु।
आनहु क्यौ न स्याम रँग काजर, जासौ जुरयौ सनेहु।।
तपत रहतिं निसि वासर मधुकर, नहिं सुहात बन गेहु।
जैसै मीन मरत जल बिछुरत, कहा कहौ दुख एहु।।
सब विधि बानि ठानि करि राख्यौ, खरि कपूर कौ रेहु।
बारक स्याम मिलाइ 'सूर' सुनि, क्यौ न सुजस जग लेहु।।3573।।