उदीपी

उदीपी कर्नाटक राज्य में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। श्रृंगेरी से उदीपी के लिए मोटर बसें चलती हैं; किन्तु यह मार्ग बहुत लम्बा है। उदीपी से निकटतम रेलवे स्टेशन मंगलौर 37 मील दूर है। वहाँ से मोटर बसें बराबर चलती हैं।

पश्चिमीघाट तथा अरब सागर के मध्य जो सँकरा भूभाग कन्याकुमारी से गोकर्ण तक है, यह पूरा परशुराम क्षेत्र है। इसी क्षेत्र के अंतर्गत उदीपी है। इसका प्राचीन नाम उडुपा था। इसका अर्थ है नक्षत्र पालक चंद्रमा। यहाँ चंद्रमा ने तप करके भगवान शिव के मस्तक पर स्थान प्राप्त किया था वहाँ मध्यावार्य के 8 मठ हैं। उनमें यात्री ठहरते हैं। द्वैतमत के प्रतिष्ठाता श्रीमध्यावाचार्य की जन्मभूमि उदीपी से 6 मील दूर बेल्ले ग्राम है। उदीपी में उन्होंने श्रीअनन्तेश्वर मंदिर के अच्युत प्रकाशाचार्य से दीक्षा ली थी।

मंदिर एवं दर्शनीय स्थल

  • श्रीकृष्ण मठ– यही उडुपी का मुख्य मंदिर हैं। द्वार में प्रवेश करते ही मध्य सरोवर हैं। इसमें स्नान करके मंदिर में प्रवेश करने पर पहले मध्वाचार्य की मूर्ति है। मुख्य मंदिर में गरुड़ का मंदिर है और ठीक उसकी विपरीत दिशा में मुख्य प्राण का मंदिर है। श्रीवादिराज स्वामी ये मूर्तियाँ अयोध्या से ले आये थे। मुख्य मंदिर में दाहिने हाथ में मथानी लिए श्रीकृष्ण की अत्यंत सुंदर मूर्ति है। बायें हाथ में मन्थन रज्जु है। मंदिर में श्रीमध्वाचार्य के द्वारा जलाया प्रदीप अखंड जल रहा है। मध्व सरोवर के बीच के मंडप में गंगामूर्ति है। वहाँ तक पुल बना है।
  • अनन्तेश्वर– श्रीकृष्ण मठ के बाहर यह मंदिर है। इसके पूर्व चंद्रमौलीश्वर मंदिर है। रथ यात्रा के दिन अनन्तेश्वर और चंद्रमौलीश्वर एक ही रथ में विराजते हैं। श्रीमध्वाचार्य के आठ शिष्यों के आठ मठ उदीपी में है। श्रीअडमार मठ में कालय मर्दन श्रीकृष्ण हैं। पुत्तिगे मठ में श्रीविट्ठल हैं। शिरूर मठ में भी विट्ठल हैं। इनके अतिरिक्त पालीर मठर, श्रीकृष्णपुर मठ, सोड़ेमठ, कणिपूर मठ तथा पेजावर मठ- ये मुख्य मठ हैं। दूसरे भी आठ और मठ हैं।
  • अब्जारण्य तीर्थ– यहाँ चंद्रमा ने तप किया था।
  • इंद्राणी– उदीपी से 3 मील पूर्व में स्थित है। यहाँ शची ने तप किया था। यहाँ दुर्गा का मंदिर है। उसमें 5 स्वयम्भू शालग्राम है। नीचे झरने के पास मारुति मंदिर है। उदीपी के चारों ओर दो मील या कम दूरी पर चार दुर्गा मंदिर हैं। चारों कोणों पर चार सुब्रह्मण्य मंदिर हैं। 4 मील दूर समुद्र तट पर मध्वाचार्य द्वारा स्थापित बलरामजी का मंदिर बड़ा भाण्डेश्वर में है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 172 |


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