उठो नँदलाल भयौ भिनुसार -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग भैरव



उठो नँदलाल भयौ भिनुसार, जगावति नंद की रानी।
झारीं कै जल बदन पखारौ, सुख करि सारँगपानी।
माखन-रोटी अरु मधु-मेवा, जो भावै लेउ आनी।
सूर स्याम मुख निरखि जसोदा, मनहीं मन जु सिहानी।।208।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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