इहिं राजस को को न बिगोयौ -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग सारंग




इहिं राजस को को न बिगोयौ?
हिरनकसिपु, हिरनाच्‍छ आदि दै, रावन, कुंभकरन कुल खोयौ।
कंस, केसि, चानूर, महाबल करि निरजीव जमुन-जल बोयौ।
जज्ञ-समय सिसुपाल सुजोधा अनायास लै जोति समोयौ।
ब्रह्मा-महादेव-सुर-सुरपति नाचत फिरत महा रस भौयौ।
सूरदास जो चरन-सरन रह्यौ, सो जद निपट नींद भरि सोयौ।।54।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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