मीराँबाई की पदावली
विरह निवेदन राग मारवा
इण सरवरियाँ री पाल मीराँबाई साँपडे ।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ इसके पहले कहीं-कहीं ये पंक्तियां भी आती हैं :- इण सरवदियारा हंस सुरंग थारी पाँखड़ी। राम मिलण कद होय, फड़ोके म्हारी आँखरी ।
- ↑ पाल = भीटेपर, तोर पर। साँपड़े = सम्पादन करती है, निबटती है। सांपड = निबट कर, हाथ मुँह धोकर। सूरज सामी = सूर्य भगवान् का। बिरंगी = विचित्र। डागराँ बिच = राह में। कोई = क्या। पीहर = मायका। असल गुँवार = निरे मूर्ख। तबै = तुझे। के = क्या। पडी = चिंता है। बारणे = द्वारपर।
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