इक दिन मुरली स्याम बजाई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग आसावरी


इक दिन मुरली स्याम बजाई।
मोहे सुर नर और सकल मुनि, उनै बदरिया आई।।
जमुना नीर प्रवाह थकित भयौ, चलै नही जु चलाई।
गाइनि के मुख दाँतनि तृन रहे, बच्छ न छीर पिवाई।।
द्रुम बेली अनुराग पुलकि तनु, ससि थकि निसि न घटाई।
'सूरदास' प्रभु मिलिवै कारन, चली सखी सुधि पाई।। 3347।।

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