आली सांवरो की दृष्टि -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png
राग हंस नारायण





आली सांवरो की दृष्टि, मानो प्रेम की कटारी है।।टेक।।
लागत बेहाल भई तन की सुधि बुद्धि गई,
तन मन व्यापो प्रेम, मानो मतवारी है।
सखियां मिलि दुइ चारी, बावरी सा भई न्यारी,
हौं तो वाको नीको जानों, कुंज को बिहारी है।
चंद की चकोर चाहै, दीपक पतंग दाहै।
जल बिन मीन जैसे, तैसे प्रीत प्यारी है।
बिनती करों हे स्याम, लागों मैं तुम्हारे पाम।
मीरां प्रभु ऐसे जानो, दासी तुम्हारी है।।176।।[1]




Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चंग = छोटे आकार का डफ बाजा जिसे साधारणतः लावनी वाले बजाया करते हैं। न्यारो = अनोखा। बिहारी = कृष्ण का एक नाम। चार = चाल। धमार राग = होली के समय गाये जाने वाले एक प्रकार के गीत। कल = सुंदर, मनोहर। जु = जो। रस = प्रेमानंद।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः