आरति श्रीवृषभानुलली की -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान

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आरतियाँ


राग कान्हरा - तीन ताल


आरति श्रीवृषभानुलली की।
सत-चित-‌आनँद-कंद-कली की॥
भय-भंजिनि भव-सागर-तारिनि,
पाप-ताप-कलि-कल्मष-हारिनि,
दिब्य-धाम गोलोक-बिहारिनि,
जन-पालिनि जग-जननि भली की॥1॥
अखिल विश्व आनन्द-विधायिनि,
मंगलमयी सुमंगलदायिनि,
नंद-नँदन-पद-प्रेम-प्रदायिनि,
अमिय-राग-रस रंग-रला की॥2॥
नित्यानन्दमयी आह्लादिनि,
आनँद-घन-‌आनंद-प्रसाधिनि,
रसमयि, रसमय-मन-‌उन्मादिनि,
सरस कमलिनी कृष्ण-‌अली की॥3॥
नित्य निकुंजेश्वरि रासेश्वरि,
परम-प्रेमरूपा परमेश्वरि,
गोपिगणाश्रयि गोपिजनेश्वरि,
विमल बिचित्र-भाव-‌अवली की॥4॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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