आरति श्रीवसुदेव-तनय की -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान

Prev.png
आरतियाँ


राग देश - ताल कहरवा


आरति श्रीवसुदेव-तनय की।
नन्दकुमार कृष्ण रसमय की॥
षडैश्वर्यमय पुरुष परात्पर,
मायापति महान्‌, मायापर,
विश्वातीत विश्व, विश्वम्भर,
चिदानन्द-बपु इच्छामय की।
आरति श्रीवसुदेव-तनय की॥
अविनाशी, अज, अखिल भुवनपति,
आदि-‌अन्त-विरहित अविगत-गति,
सेवत सतत संत निर्मल-मति,
दीन-शरण्य विशद-‌आशय की।
आरति श्रीवसुदेव-तनय की॥
असुरोद्धारक दुष्कृतिनाशक,
स्थापक धर्म, अधर्म-विनाशक,
सदाचार सद्‌‌भाव विकाशक
गो-द्विज-रक्षक महिमामय की।
आरति श्रीवसुदेव-तनय की॥
पार्थ-सारथी गीता-गायक,
ज्ञान भक्ति सत्कर्म विधायक,
लोक-संग्रही, लोक-सुनायक,
स्रष्टा, पालक स्वयं प्रलय की।
आरति श्रीवसुदेव-तनय की॥
मथुरा कारागार धन्य कर,
प्रकटे चार भुजा आयुध-धर,
देवकि श्रीवसुदेव सुखाकर,
सहज सुहृद, अनुकम्पामय की।
आरति श्रीवसुदेव-तनय की॥
ब्रज पधार, कर लीला मञ्जुल,
नन्द-यशोदा-सुखकर सुविमल,
ब्रज-संरक्षक अमित शौर्य-बल,
शुचि सुषमा श्रीनन्दालय की।
आरति श्रीवसुदेव-तनय की॥
परम मधुर रसराज रसिकवर,
ललित त्रिभंग-मधुर मुरलीधर,
गोपी-गो-गोपाल-सुहृदवर,
अमल असीम प्रेम आलय की।
आरति श्रीवसुदेव-तनय की॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः