आयौ जान्यौ हरि बसंत। ललना सुख दीन्हौ तुरंत।।
फूले बननि सुमन पलास। ऋतु नायक सुख कौ बिलास।।
संग नारि चहुँ-आस-पास। मुरली अमृत करति भास।।
स्यामा स्याम बिलास एक। सुखदायक गोपी अनेक।।
तजत नहीं काहू छनेक। अकल निरंजन बिबिध भेष।।
फाग-रंग-रस करत स्याम। जुवतिनि पूरन करन काम।।
बासरहूँ सुख देत जाम। 'सूर' स्याम प्रभु निकट बाम।।2852।।