आनि देहु गेंड़ुरी पराई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग टोड़ी


आनि देहु गेंड़ुरी पराई।
तेरौ कोउ कहा करैगौ, लरिहैं हम सौं भगिनी माई।।
मेरे संग की ओर गई लै जल भरि, धरि घर तै फिरि आई।
सूर स्‍याम गेंड़ुरी दीजिये, न तु जसुमति सौं कैहौं जाई।।1417।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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