आनँद सहित सबै ब्रज आए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग कल्‍यान



आनँद सहित सबै ब्रज आए।
धन्‍य जसोदा तेरौ बारौ, हम सब मरत जिवाए।
नर-बपु धरे देव यह कोऊ, आइ लियौ अवतार।
गोकुल-ग्वाल-गाइ-गोसुत के येई राखनहार।
पय पीवत पूतना निपाती, तृनावतै इहिं भाँत।
वृषभासुर-बत्‍सासुर मारयौ, बल-मोहन दोउ भ्रात।
जब तैं जनम लियौ ब्रज-भीतर, तब तैं यहै उगाइ।
सूर स्‍याम के बल-प्रताप तैं, बन-वन चारत गाइ।।508।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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