आजु हो होरी हरिहिं खेलाऊँ -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग होरी





आजु हो होरी हरिहिं खेलाऊँ।
ब्रज की खोरि साँकरी घेरौ गारी देहुँ दिवाऊँ।।
चोवा चंदन कुमकुम अरगजा मुठी गुलाल उड़ाऊँ।
अपने अपते घर सौ निकसि लै अबिंर भोरि भरि त्याऊँ।।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे मिलन कौ गारी गाइ रिझाउँ।। 133 ।।


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